Personal Loan Rule: आज के समय में लोन लेना आम बात हो गई है। घर, गाड़ी, शिक्षा या व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोग अक्सर बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेते हैं। लेकिन कभी-कभी आर्थिक परिस्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं और ईएमआई (EMI) का नियमित भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। नौकरी जाना, व्यापार में घाटा, अचानक बीमारी या अन्य आपात स्थितियां ऐसे कारण हो सकते हैं जो आपकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित करते हैं। ऐसी स्थिति में बहुत से लोग तनाव में आ जाते हैं और सोचते हैं कि अब क्या होगा। लेकिन चिंता करने की बजाय, कुछ व्यावहारिक कदम उठाकर आप इस समस्या से निपट सकते हैं।
आर्थिक कठिनाई के समय क्या करें
जब आप आर्थिक संकट में हों और अपनी ईएमआई का भुगतान करने में असमर्थ हों, तो सबसे पहले आपको शांत रहने की जरूरत है। घबराहट में कोई भी निर्णय लेने से बचें क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं जो इस स्थिति का सामना कर रहे हैं। हर साल हजारों लोग ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं और उनमें से अधिकांश सही रणनीति अपनाकर इससे बाहर निकल जाते हैं। इसलिए, अपनी वित्तीय स्थिति का ईमानदारी से आकलन करें और फिर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ें।
तुरंत बैंक से संपर्क करें
अगर आप अपनी ईएमआई का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है – अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करना। इस बात की प्रतीक्षा न करें कि बैंक आपसे संपर्क करे या नोटिस भेजे। जितनी जल्दी हो सके, अपने लोन अधिकारी या बैंक प्रबंधक से मिलें और उन्हें अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के बारे में ईमानदारी से बताएं। उन्हें स्पष्ट रूप से बताएं कि आप कितने समय तक ईएमआई चुकाने में असमर्थ रहेंगे और इसके पीछे की वजह क्या है।
अतिरिक्त समय की मांग करें
बैंक से बात करते समय, आप उनसे ईएमआई भुगतान में कुछ समय के लिए राहत का अनुरोध कर सकते हैं। इसे ‘मोरेटोरियम’ या ‘ग्रेस पीरियड’ भी कहा जाता है। इस दौरान आपको ईएमआई का भुगतान नहीं करना पड़ेगा, हालांकि ब्याज जमा होता रहेगा। बैंक आपकी स्थिति का आकलन करके यह तय करेगा कि आपको अतिरिक्त समय देना है या नहीं। वे आपकी अनुरोधित अवधि (जैसे 1 वर्ष) से सहमत हो सकते हैं या कम समय दे सकते हैं। यह समय आपको अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारने का मौका देता है।
लोन की रीस्ट्रक्चरिंग कराएं
अगर आपके पास ईएमआई चुकाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं, लेकिन आप कुछ भुगतान करने की स्थिति में हैं, तो आप बैंक से लोन रीस्ट्रक्चरिंग का अनुरोध कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में, बैंक आपके लोन के नियम और शर्तों को संशोधित करता है, जिससे आपकी मासिक ईएमआई की राशि कम हो जाती है। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप लोन चुकाने की अवधि बढ़ जाती है और आपको कुल मिलाकर अधिक ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
रीस्ट्रक्चरिंग का एक उदाहरण
उदाहरण के लिए, यदि आपने 5 साल के लिए 5 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया था और 3 साल तक नियमित रूप से ईएमआई का भुगतान किया, लेकिन अब आर्थिक कठिनाई के कारण पूरी ईएमआई चुकाना मुश्किल हो रहा है, तो बैंक शेष राशि को चुकाने के लिए अवधि बढ़ा सकता है। मान लीजिए, अभी आपकी ईएमआई 10,000 रुपये है और अभी 2 साल का लोन बाकी है। रीस्ट्रक्चरिंग के बाद, बैंक आपकी चुकौती अवधि को 2 से बढ़ाकर 4 साल कर सकता है, जिससे आपकी मासिक ईएमआई घटकर लगभग 6,000 रुपये हो जाएगी।
बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प अपनाएं
एक अन्य विकल्प जो आप अपना सकते हैं, वह है बैलेंस ट्रांसफर (BT)। कई बैंक और वित्तीय संस्थान बैलेंस ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करते हैं, जिसके तहत आप अपने मौजूदा लोन को कम ब्याज दर वाले दूसरे बैंक में स्थानांतरित कर सकते हैं। यह न केवल आपकी ईएमआई को कम कर सकता है, बल्कि आपको अतिरिक्त धन भी प्रदान कर सकता है, जो आपकी वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद कर सकता है। बैलेंस ट्रांसफर का लाभ उठाने के लिए, आपको विभिन्न बैंकों की तुलना करनी चाहिए और वह चुनना चाहिए जो आपको सबसे अच्छी शर्तें और सबसे कम ब्याज दर प्रदान करता हो।
बैलेंस ट्रांसफर के फायदे
बैलेंस ट्रांसफर के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह आपकी मौजूदा ईएमआई को कम कर सकता है, जिससे आपको वित्तीय राहत मिलती है। दूसरा, कई बैंक बैलेंस ट्रांसफर पर शुरुआती कुछ महीनों के लिए कम ब्याज दर या शून्य प्रोसेसिंग शुल्क जैसे आकर्षक ऑफर प्रदान करते हैं। तीसरा, आप एक साथ कई लोन और क्रेडिट कार्ड के बकाया को समेकित कर सकते हैं, जिससे आपका ईएमआई भुगतान प्रबंधन आसान हो जाता है। हालांकि, ध्यान रखें कि कुछ बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से लिए गए लोन को बैलेंस ट्रांसफर में शामिल नहीं करते हैं।
लोन सेटलमेंट
अगर उपरोक्त सभी विकल्प काम नहीं करते और आप बार-बार बैंक के संपर्क करने के बावजूद ईएमआई का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, तो बैंक आपको वन टाइम सेटलमेंट (OTS) का प्रस्ताव दे सकता है। इस व्यवस्था के तहत, बैंक आपसे लोन की पूरी बकाया राशि की मांग नहीं करता है, बल्कि एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 10 से 50 प्रतिशत के बीच) एकमुश्त राशि स्वीकार करता है और शेष राशि माफ कर देता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि OTS का आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और भविष्य में लोन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
लोन सेटलमेंट की प्रक्रिया
अगर आप लोन सेटलमेंट के लिए जाते हैं, तो आमतौर पर बैंक आपको एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए एक सीमित समय देता है, जो अक्सर एक सप्ताह के आसपास होता है। सेटलमेंट की राशि का भुगतान करने के बाद, बैंक आपको एक ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ जारी करता है, जो यह प्रमाणित करता है कि आपने अपने लोन का पूरा निपटान कर दिया है। यह प्रमाणपत्र आपके भविष्य के संदर्भ के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे संभालकर रखें। हालांकि, फिर से याद दिलाएं, लोन सेटलमेंट आपके क्रेडिट इतिहास में दर्ज हो जाता है और आपके क्रेडिट स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
क्या करें और क्या न करें
लोन चुकाने में कठिनाई का सामना करते समय, कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखना जरूरी है। सबसे पहले, एक लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन लेने से बचें, क्योंकि यह आपको कर्ज के दुष्चक्र में फंसा सकता है। दूसरा, अपने बैंक के साथ खुली और ईमानदार संवाद रखें। तीसरा, यदि संभव हो तो अपने खर्चों को कम करें और आय के अतिरिक्त स्रोत तलाशें। चौथा, अपने परिवार या विश्वसनीय दोस्तों से वित्तीय सहायता मांगने में संकोच न करें। अंत में, आवश्यकता पड़ने पर पेशेवर वित्तीय सलाहकार से मदद लें।
आर्थिक संकट के समय में लोन की ईएमआई न चुका पाना एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कर्ज के जाल में फंस जाएंगे। बैंक से संपर्क करना, अतिरिक्त समय मांगना, लोन रीस्ट्रक्चरिंग, बैलेंस ट्रांसफर और लोन सेटलमेंट जैसे विकल्प अपनाकर आप इस समस्या से निपट सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप पैनिक न हों और सोच-समझकर निर्णय लें। पेशेवर सलाह लेना भी उचित रहता है। याद रखें, हर आर्थिक संकट अस्थायी होता है और सही रणनीति अपनाकर आप इससे बाहर निकल सकते हैं और अपनी वित्तीय स्थिति को फिर से मजबूत बना सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसमें दी गई जानकारी सामान्य जानकारी पर आधारित है। व्यक्तिगत वित्तीय निर्णय लेने से पहले, कृपया अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। प्रत्येक व्यक्ति की वित्तीय स्थिति अलग होती है और इसलिए समाधान भी अलग-अलग हो सकते हैं। बैंकों और वित्तीय संस्थानों के नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं, इसलिए निर्णय लेने से पहले नवीनतम जानकारी प्राप्त करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी वित्तीय निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।