Tax Regime Confusion: आज के समय में हर करदाता के मन में एक सवाल है – नई टैक्स रिजीम चुनें या पुरानी? जुलाई 2025 का महीना शुरू हो चुका है और इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 जल्दी ही आ रही है। यदि आपकी आय टैक्स के दायरे में आती है, तो आपको अपना ITR समय पर फाइल करना अनिवार्य है। इस लेख में हम आपको दोनों टैक्स रिजीम के बारे में विस्तार से बताएंगे ताकि आप अपने लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कर सकें।
नई टैक्स रिजीम
नई टैक्स रिजीम की शुरुआत केंद्रीय बजट 2020 में की गई थी। वित्तीय वर्ष 2023-24 से इसे नए करदाताओं के लिए डिफॉल्ट विकल्प के रूप में स्थापित कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि अगर आप पुरानी टैक्स रिजीम में जाना चाहते हैं, तो आपको इसका विशेष रूप से उल्लेख करना होगा। नई टैक्स रिजीम का मुख्य उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना और करदाताओं के हाथों में अधिक पैसे छोड़ना है।
नई टैक्स रिजीम के लाभ
नई टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब दरें कम हैं, जिसका सीधा फायदा यह है कि आपको अपनी आय पर कम टैक्स देना पड़ेगा। इसके अलावा, इसमें पेपरवर्क और प्रक्रिया भी सरल है। यूनियन बजट 2025 के अनुसार, सालाना 12.75 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है। इसलिए, अगर आपकी आय इससे कम है और आपके पास विशेष बचत योजनाओं में निवेश नहीं है, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
नई टैक्स रिजीम की सीमाएं
हालांकि नई टैक्स रिजीम में कर दरें कम हैं, लेकिन इसमें कई महत्वपूर्ण कटौतियां (डिडक्शन) उपलब्ध नहीं हैं। इसका मतलब है कि अगर आपने जीवन बीमा (LIC), सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), या अन्य टैक्स बचत योजनाओं में निवेश किया है, तो आपको धारा 80C के तहत कोई छूट नहीं मिलेगी। इसी तरह, स्वास्थ्य बीमा, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), या होम लोन पर ब्याज के लिए भी कोई छूट नहीं मिलेगी।
पुरानी टैक्स रिजीम
पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब तो अधिक हैं, लेकिन यह विभिन्न प्रकार की कटौतियों और छूटों का लाभ प्रदान करती है। इसमें आपको धारा 80C, 80D, हाउस रेंट अलाउंस, लीव ट्रैवल अलाउंस, और स्टैंडर्ड डिडक्शन जैसी कई सुविधाओं का लाभ मिलता है। यदि आप नियमित रूप से बचत करते हैं और विभिन्न निवेश योजनाओं में पैसा लगाते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है।
पुरानी टैक्स रिजीम के लाभ
पुरानी टैक्स रिजीम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें आपको कई प्रकार की कटौतियां मिलती हैं। धारा 80C के अंतर्गत, आप एलआईसी, पीपीएफ, और ईएलएसएस जैसे निवेशों पर 1.5 लाख रुपए तक की कटौती का लाभ उठा सकते हैं। धारा 80D के तहत, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर 25,000 रुपए से 1 लाख रुपए तक की अतिरिक्त कटौती मिलती है। इसके अलावा, होम लोन पर ब्याज के लिए 2 लाख रुपए तक और मूलधन भुगतान के लिए 1.5 लाख रुपए तक की कटौती भी मिलती है।
पुरानी टैक्स रिजीम की सीमाएं
पुरानी टैक्स रिजीम में टैक्स दरें अधिक हैं, और अगर आपके पास पर्याप्त निवेश और कटौतियां नहीं हैं, तो आपको अधिक टैक्स देना पड़ सकता है। इसके अलावा, विभिन्न कटौतियों और छूटों के कारण पेपरवर्क और दस्तावेजीकरण भी अधिक होता है। यदि आप सिर्फ वेतनभोगी हैं और आपके पास अतिरिक्त आय के स्रोत नहीं हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम में फायदा उठाना मुश्किल हो सकता है।
किसे चुनें
सही टैक्स रिजीम का चुनाव आपकी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। यदि आपके पास कई निवेश और बचत योजनाएं हैं, और आप धारा 80C, 80D, HRA, होम लोन और अन्य कटौतियों का पूरा लाभ उठाते हैं, तो पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए अधिक फायदेमंद होगी। दूसरी ओर, यदि आपकी आय अधिक है लेकिन आपके पास ज्यादा निवेश और बचत योजनाएं नहीं हैं, तो नई टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है।
अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें
अपनी टैक्स रिजीम का चुनाव करने से पहले, अपनी वित्तीय स्थिति का गहन विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है। अपनी कुल आय, निवेश, बचत योजनाओं, और संभावित कटौतियों की सूची बनाएं। फिर दोनों टैक्स रिजीम में अपने कुल टैक्स दायित्व की गणना करें। आप इनकम टैक्स विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या विभिन्न टैक्स कैलकुलेटर का उपयोग करके इसकी गणना कर सकते हैं।
नौकरी बदलने पर क्या करें?
अगर आपने हाल ही में नौकरी बदली है, तो अपने नए नियोक्ता को अपनी पिछली नौकरी में ली गई सभी कटौतियों और छूटों के बारे में जानकारी प्रदान करें। कई बार, कुछ कटौतियां जैसे 80C या 80D दोनों नौकरियों में लागू हो सकती हैं। अपने नए नियोक्ता से फॉर्म 12B भरने के लिए कहें, जिससे आपके पिछले नियोक्ता द्वारा काटे गए टैक्स को आपके नए टैक्स दायित्व में समायोजित किया जा सकेगा।
टैक्स रिजीम में बदलाव कैसे करें?
इनकम टैक्स विभाग ने करदाताओं को यह सुविधा दी है कि वे हर वित्तीय वर्ष में अपनी टैक्स रिजीम को बदल सकते हैं। धारा 139(1) के अनुसार, आप ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि से पहले अपनी पसंदीदा टैक्स रिजीम का चयन कर सकते हैं। अगर आप वेतनभोगी हैं, तो अपने नियोक्ता को अपनी पसंदीदा टैक्स रिजीम के बारे में सूचित करें ताकि टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) उसी के अनुसार काटा जा सके।
नई और पुरानी टैक्स रिजीम में से किसी एक का चुनाव करना एक महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय है। इसका प्रभाव न केवल आपके वर्तमान टैक्स दायित्व पर पड़ेगा, बल्कि आपकी भविष्य की वित्तीय योजनाओं पर भी। अपनी आय, निवेश और बचत पैटर्न के आधार पर सही टैक्स रिजीम का चयन करें। अगर आप अनिश्चित हैं, तो किसी कर सलाहकार या वित्तीय विशेषज्ञ से परामर्श करें। याद रखें, सही टैक्स योजना न केवल आपके टैक्स को कम करती है, बल्कि आपकी समग्र वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में भी मदद करती है।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय या कर सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। टैक्स नियम और कानून समय-समय पर बदल सकते हैं। अपनी वित्तीय स्थिति और टैक्स दायित्वों के बारे में सटीक जानकारी के लिए, कृपया योग्य कर सलाहकार या वित्तीय विशेषज्ञ से परामर्श करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए ज़िम्मेदार नहीं होंगे।