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SBI, PNB और HDFC बैंक ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस लिमिट हुए तय, पढ़िए नए नियम Minimum Balance

By Meera Sharma

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Minimum Balance

Minimum Balance: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता के बारे में पूरी जानकारी दें। साथ ही, इस नए नियम के अनुसार बैंकों को अब ग्राहक के बैलेंस कम होने पर पहले सूचना देनी होगी और सुधार के लिए पर्याप्त समय देना होगा। आइए इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।

न्यूनतम बैलेंस क्या होता है?

न्यूनतम बैलेंस वह राशि है जिसे बैंक खाताधारकों को अपने बचत खाते में हमेशा बनाए रखना होता है। यदि किसी व्यक्ति के खाते में इस निर्धारित राशि से कम धनराशि रहती है, तो बैंक उस पर जुर्माना या सेवा शुल्क लगा सकता है। यह न्यूनतम राशि और इससे जुड़े शुल्क अलग-अलग बैंकों के अनुसार भिन्न होते हैं, और खाता किस प्रकार का है और किस क्षेत्र में खोला गया है, इस पर भी निर्भर करते हैं।

प्रमुख बैंकों में न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता

भारत के विभिन्न बैंकों में न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अधिकांश बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस की जरूरत को समाप्त कर दिया है, जिससे छात्रों, बुजुर्गों और कम आय वाले लोगों को बड़ी राहत मिली है।

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वहीं एचडीएफसी बैंक में यह राशि स्थान के अनुसार अलग-अलग है। मेट्रो और शहरी क्षेत्रों में 10,000 रुपये, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 5,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 2,500 रुपये है। यदि खाते में इतनी राशि नहीं रहती है, तो बैंक 600 रुपये तक या कम पड़ने वाली राशि का 6 प्रतिशत, जो भी कम हो, जुर्माना वसूल सकता है।

आईसीआईसीआई बैंक में भी स्थान के अनुसार न्यूनतम बैलेंस अलग-अलग है। ग्रामीण क्षेत्रों में 1,000 रुपये, अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 5,000 रुपये और शहरी/मेट्रो क्षेत्रों में 10,000 रुपये है। यहां पेनल्टी 100 रुपये और कम पड़ने वाली राशि का 5 प्रतिशत है।

पंजाब नेशनल बैंक में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 400 रुपये, अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए 500 रुपये और शहरी/मेट्रो क्षेत्रों के लिए 600 रुपये है। पेनल्टी क्षेत्र के अनुसार 400 से 600 रुपये तक हो सकती है।

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न्यूनतम बैलेंस न रखने पर क्या होता है?

जब कोई खाताधारक अपने खाते में निर्धारित न्यूनतम बैलेंस नहीं रखता है, तो बैंक उसके खाते से जुर्माना काट सकता है। यह जुर्माना न केवल खाते में मौजूद शेष राशि को कम कर देता है, बल्कि अन्य बैंकिंग सेवाओं का लाभ लेने में भी बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि खाताधारक अपने खाते की नियमित रूप से निगरानी करें और निर्धारित न्यूनतम बैलेंस बनाए रखें।

RBI के नए नियमों से क्या बदलेगा?

नए नियमों के अनुसार, बैंकों को अब ग्राहकों को पहले से सूचित करना होगा कि उनका बैलेंस निर्धारित सीमा से कम हो रहा है। इसके बाद ग्राहक को बैलेंस बढ़ाने का अवसर दिया जाएगा। साथ ही, अगर पेनल्टी लगाई जाती है, तो वह केवल उतनी ही होगी जितनी बैंक की वास्तविक लागत है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्राहकों पर कोई अतिरिक्त या छिपा हुआ शुल्क न लगे।

यह नया नियम ग्राहकों के हित में है और उन्हें आर्थिक नुकसान से बचने में मदद करेगा। साथ ही, इससे बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता भी बढ़ेगी क्योंकि बैंकों को अब पेनल्टी के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी।

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पेनल्टी से कैसे बचें?

पेनल्टी से बचने के कुछ आसान तरीके हैं। सबसे पहले, अपने बैंक के नियमों को अच्छी तरह से जानें। हर बैंक की न्यूनतम बैलेंस की सीमा और पेनल्टी अलग-अलग होती है, इसलिए अपने खाते की शर्तों को समय-समय पर पढ़ते रहें।

दूसरा, अगर आपके पास एक से अधिक खाते हैं, तो आप ऑटोमैटिक फंड ट्रांसफर की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इससे एक खाते में बैलेंस कम होने पर दूसरे खाते से अपने आप पैसा ट्रांसफर हो जाएगा और आपको पेनल्टी से बचाएगा।

तीसरा, अगर आपको न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना मुश्किल लगता है, तो आप जीरो बैलेंस सेविंग अकाउंट चुन सकते हैं। इस तरह के खाते में कोई न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं होती है और आप बिना किसी चिंता के बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

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न्यूनतम बैलेंस के नियम हर बैंक ग्राहक के लिए महत्वपूर्ण हैं। RBI के नए नियमों से ग्राहकों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी, लेकिन फिर भी अपने खाते की स्थिति पर ध्यान देना, नियमों को समझना और समय पर बैलेंस बनाए रखना हर ग्राहक की जिम्मेदारी है। इससे आप अतिरिक्त शुल्क से बच सकते हैं और अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकते हैं।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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